परिचय
क्या आपने कभी सोचा है कि हमें अपनी तकनीक में और अधिक ऊर्जा-कुशल और तेज़ मेमोरी चिप्स की आवश्यकता क्यों है? आज, MIT के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक का आविष्कार किया है जो केवल प्रकाश का उपयोग करके एक अद्वितीय और स्थायी magnetic state बनाने में सक्षम है। यह तकनीक न केवल मेमोरी चिप्स को तेज और छोटे बनाने में मदद कर सकती है, बल्कि इससे डेटा स्टोरेज की दुनिया में एक क्रांति भी आ सकती है। आइए जानते हैं इस रोमांचक खोज के बारे में।
मुख्य लेख
MIT के भौतिकविदों ने एक नई और दीर्घकालिक magnetic state बनाई है, जो केवल प्रकाश का उपयोग करके संभव हुई है। हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने एक terahertz लेजर का उपयोग किया है, जो एक ऐसा प्रकाश स्रोत है जो प्रति सेकंड एक ट्रिलियन से अधिक बार oscillate करता है। इस लेजर की oscillations को उस सामग्री के अणुओं की प्राकृतिक vibrations के अनुसार समायोजित किया गया है, जिससे atomic spins का संतुलन एक नए magnetic state की ओर बढ़ा दिया गया है।
एंटीफेरोमैग्नेटिक सामग्री की विशेषताएँ
आम मैग्नेट्स, जिन्हें हम फेरोमैग्नेट्स कहते हैं, में अणुओं के spins एक ही दिशा में होते हैं, जिसे आसानी से किसी बाहरी magnetic field द्वारा प्रभावित किया जा सकता है। इसके विपरीत, एंटीफेरोमैग्नेट्स में अणुओं के spins वैकल्पिक रूप से होते हैं, जिससे उनका समग्र magnetic प्रभाव शून्य होता है। यदि हम एंटीफेरोमैग्नेटिक सामग्री से बनी मेमोरी चिप बना सकें, तो डेटा को माइक्रोस्कोपिक क्षेत्रों में लिखा जा सकता है, जिसे domains कहा जाता है।
एंटीफेरोमैग्नेट्स के फायदे
एंटीफेरोमैग्नेटिक सामग्री को डेटा स्टोरेज के लिए अधिक मजबूत विकल्प माना जाता है, क्योंकि ये बाहरी magnetic प्रभावों से प्रभावित नहीं होते हैं। हालांकि, एक बड़ी चुनौती यह है कि इन सामग्रियों को एक magnetic state से दूसरे में स्विच करना कठिन होता है। Nuh Gedik, MIT के Donner Professor of Physics, कहते हैं, "एंटीफेरोमैग्नेटिक सामग्री मजबूत होती है, लेकिन उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल होता है।"
नई तकनीक का उपयोग
MIT की टीम ने अपने carefully tuned terahertz light का उपयोग करके एक एंटीफेरोमैग्नेट को एक नए magnetic state में बदलने में सफलता पाई। यह तकनीक भविष्य की मेमोरी चिप्स में शामिल की जा सकती है, जिससे डेटा को अधिक कुशलता से स्टोर और प्रोसेस किया जा सकेगा। Gedik कहते हैं, "अब हमारे पास इन्हें ट्यून और ट्वीक करने के लिए कुछ knobs हैं।"
प्रयोग की प्रक्रिया
शोधकर्ताओं ने FePS3 नामक सामग्री का उपयोग किया, जो लगभग 118 केल्विन पर एंटीफेरोमैग्नेटिक अवस्था में परिवर्तित होती है। उन्होंने इस सामग्री को एक vacuum chamber में रखा और इसे ठंडा किया। फिर, उन्होंने एक terahertz pulse उत्पन्न किया, जिसे सामग्री पर लक्षित किया गया।
प्रभाव का परीक्षण
शोधकर्ताओं ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि terahertz pulse ने सामग्री के magnetism में बदलाव किया है, दो अन्य near-infrared लेज़र्स का उपयोग किया। यदि terahertz pulse का कोई प्रभाव नहीं होता, तो उन्हें कोई अंतर दिखाई नहीं देता। लेकिन जब उन्होंने अंतर देखा, तो उन्हें पता चला कि सामग्री अब मूल एंटीफेरोमैग्नेट नहीं है।
अंत में
शोधकर्ताओं ने देखा कि terahertz pulse ने एंटीफेरोमैग्नेटिक सामग्री को एक नए magnetic state में सफलतापूर्वक स्विच कर दिया, जो कि कई मिलीसेकंड तक स्थायी रहा। Gedik के अनुसार, "इससे हमें एक अच्छी खिड़की मिलती है, जिसके दौरान हम अस्थायी नए state की विशेषताओं का परीक्षण कर सकते हैं।"
निष्कर्ष
इस अनुसंधान ने न केवल एंटीफेरोमैग्नेटिक सामग्री को नियंत्रित करने का एक नया तरीका प्रस्तुत किया है, बल्कि यह हमें डेटा स्टोरेज तकनीक में भविष्य की संभावनाओं के बारे में भी सोचने पर मजबूर करता है। यह खोज संकेत देती है कि हम जल्द ही अधिक ऊर्जा-कुशल, तेज़, और छोटे मेमोरी चिप्स की ओर बढ़ सकते हैं।
FAQs
1. एंटीफेरोमैग्नेटिक सामग्री क्या होती है?
एंटीफेरोमैग्नेटिक सामग्री में अणुओं के spins एक-दूसरे के विपरीत दिशा में होते हैं, जिससे उनका समग्र magnetic प्रभाव शून्य होता है।
2. क्यों एंटीफेरोमैग्नेट्स को मेमोरी चिप्स में उपयोग करने की सलाह दी जाती है?
ये बाहरी magnetic प्रभावों से प्रभावित नहीं होते, जिससे डेटा की सुरक्षा अधिक मजबूत होती है।
3. MIT के शोधकर्ताओं ने किस तकनीक का उपयोग किया?
उन्होंने terahertz लेजर का उपयोग किया, जो अणुओं की प्राकृतिक vibrations के अनुसार समायोजित होता है।
4. इस नए magnetic state का क्या महत्व है?
यह डेटा स्टोरेज तकनीकों में अधिक ऊर्जा-कुशल, तेज़ और छोटे समाधान प्रदान कर सकता है।
5. क्या terahertz pulse का प्रभाव स्थायी होता है?
शोध में पाया गया कि terahertz pulse द्वारा उत्पन्न नया magnetic state कई मिलीसेकंड तक स्थायी रहता है।
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इस प्रकार, नई खोजें न केवल तकनीकी क्षमता को बढ़ाती हैं, बल्कि हमारे ज्ञान के दायरे को भी विस्तारित करती हैं। अधिक जानकारी के लिए, आप Vidyamag की वेबसाइट पर जा सकते हैं।