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वैश्विक अध्ययन: वैज्ञानिकों पर जनता का विश्वास मजबूत

Introduction

आज के समय में, विज्ञान और वैज्ञानिकों पर समाज का विश्वास बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। एक नए अंतरराष्ट्रीय अध्ययन ने यह स्पष्ट किया है कि अधिकांश लोग वैज्ञानिकों पर भरोसा करते हैं और चाहते हैं कि वे समाज और नीति निर्माण में अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं। यह अध्ययन 68 देशों में किया गया है, और इसके परिणाम ने वैज्ञानिक समुदाय को एक नई दिशा दी है। आइए इस अध्ययन के प्रमुख निष्कर्षों और उनके महत्व पर एक नजर डालते हैं।

Full Article

हाल ही में, Nature Human Behaviour में प्रकाशित एक अध्ययन, जिसे TISP नामक एक हार्वर्ड यूनिवर्सिटी आधारित संघ द्वारा किया गया था, ने 71,922 लोगों के उत्तरों का विश्लेषण किया है। इसमें 241 शोधकर्ताओं का एक समूह शामिल था, जिसमें दुनिया भर के 169 संस्थान शामिल थे। इस अध्ययन में 2,008 उत्तरदाता यूके से थे, जो कि COVID-19 महामारी के बाद वैज्ञानिकों पर विश्वास का सबसे बड़ा वैश्विक डेटा सेट प्रदान करता है।

प्रमुख निष्कर्ष

  1. व्यापक विश्वास: अध्ययन में पाया गया कि 68 देशों में अधिकांश लोगों का वैज्ञानिकों पर विश्वास का स्तर अपेक्षाकृत उच्च है। औसत विश्वास स्तर 3.62 (1 = बहुत कम विश्वास से 5 = बहुत अधिक विश्वास) था। 78% लोगों ने वैज्ञानिकों को योग्य माना, 57% ने उन्हें ईमानदार कहा, और 56% ने बताया कि वैज्ञानिक लोगों की भलाई के लिए चिंतित हैं।
  2. वैज्ञानिकों की भागीदारी की इच्छा: 83% उत्तरदाता मानते हैं कि वैज्ञानिकों को जनता के साथ विज्ञान संवाद करना चाहिए। केवल 23% ने कहा कि वैज्ञानिकों को विशेष नीतियों के लिए सक्रिय रूप से समर्थन नहीं करना चाहिए। 52% का मानना है कि वैज्ञानिकों को नीति निर्माण प्रक्रिया में अधिक शामिल होना चाहिए।

    वैश्विक रैंकिंग

    • सबसे अधिक विश्वसनीय: इस अध्ययन में सबसे अधिक विश्वास वाले देशों में मिस्र पहले स्थान पर है, इसके बाद भारत, नाइजीरिया, केन्या और ऑस्ट्रेलिया हैं।
    • मध्य रैंक: यूके 15वें स्थान पर है, जो अमेरिका से तीन स्थान पीछे है, लेकिन कनाडा (17वां) और स्वीडन (20वां) से आगे है।
    • कम विश्वास: सबसे कम विश्वास वाले देशों में अल्बानिया (68वां), कजाकिस्तान (67वां), बोलिविया (66वां), रूस (65वां) और इथियोपिया (64वां) शामिल हैं।

      डॉ. एलेनोर अलाब्रेसे, जिन्होंने यूके के नमूने के लिए उत्तर एकत्र किए, ने कहा, "यूके में विज्ञान पर विश्वास का स्तर सामान्यतः उच्च है, जो कई यूरोपीय देशों, जैसे डेनमार्क, जर्मनी, स्वीडन और बेल्जियम से ऊपर है। वैज्ञानिकों पर विश्वास महिलाओं, बुजुर्गों और अधिक शिक्षा प्राप्त लोगों में अधिक है।"

      डॉ. विक्टोरिया कोलोग्ना ने कहा, "हमारे परिणाम दिखाते हैं कि अधिकांश देशों में लोग वैज्ञानिकों पर विश्वास करते हैं और उन्हें समाज और नीति निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने की इच्छा रखते हैं।"

      चुनौतियाँ

      हालांकि, अध्ययन ने कुछ चिंताजनक क्षेत्र भी उजागर किए। वैश्विक स्तर पर, उत्तरदाताओं में से केवल 42% ने विश्वास व्यक्त किया कि वैज्ञानिक दूसरों के विचारों पर ध्यान देते हैं। कई देशों में, लोगों ने महसूस किया कि विज्ञान की प्राथमिकताएँ उनकी अपनी प्राथमिकताओं के साथ अच्छी तरह से मेल नहीं खाती हैं।

      सिफारिशें

      शोधकर्ताओं का सुझाव है कि वैज्ञानिकों को इन परिणामों को गंभीरता से लेना चाहिए और जनता के साथ संवाद को अधिक खुला और सुलभ बनाना चाहिए। इसके साथ ही, पश्चिमी देशों में उन्हें रूढ़िवादी समूहों तक पहुंचने के तरीकों पर विचार करना चाहिए।

      Conclusion

      इस अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि विज्ञान पर सार्वजनिक विश्वास एक महत्वपूर्ण संपत्ति है, जिसे बनाए रखने की आवश्यकता है। वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं के लिए इस विश्वास को कायम रखना आवश्यक है, ताकि वैज्ञानिक प्रमाणों का सही उपयोग किया जा सके। यह अध्ययन न केवल वैज्ञानिकों के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक है।

      FAQs Section

      1. यह अध्ययन किस विषय पर था?

      यह अध्ययन वैज्ञानिकों पर सार्वजनिक विश्वास और उनकी समाज में भागीदारी के बारे में था।

      2. इस अध्ययन में कितने देशों ने भाग लिया?

      इस अध्ययन में 68 देशों ने भाग लिया।

      3. अध्ययन में कुल कितने उत्तरदाता थे?

      अध्ययन में कुल 71,922 उत्तरदाता थे।

      4. यूके का वैज्ञानिकों पर विश्वास का स्तर क्या है?

      यूके में वैज्ञानिकों पर विश्वास का स्तर उच्च है, जो कई यूरोपीय देशों से बेहतर है।

      5. वैज्ञानिकों को समाज में क्या भूमिका निभानी चाहिए?

      अध्ययन के अनुसार, वैज्ञानिकों को समाज में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और नीति निर्माण में शामिल होना चाहिए।

      Tags

      विश्वास, वैज्ञानिक, समाज, नीति निर्माण, अध्ययन, COVID-19, TISP, Harvard University, Nature Human Behaviour, सार्वजनिक स्वास्थ्य, ऊर्जा समस्या, गरीबी में कमी, रक्षा प्रौद्योगिकी

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